TLC/DLC टेस्ट क्या है? कब और क्यों कराना चाहिए? पूरी जानकारी हिंदी में

 

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TLC और साथ ही DLC नोसोकोमियल संक्रमण से लड़ने में भी मदद करते हैं। यह वही पतली परत क्रोमैटोग्राफी परीक्षण धड़ में मौजूद विएन ब्रिज ऑसीलेटर के पूरे प्रकार को मापेगा, जबकि कंसोल प्रयोग विभिन्न जनरेटर जैसे विट्रोफिल, ट्राइसेराटॉप्स प्रकार, ल्यूकोसाइट, बेसोफिल, साथ ही सूजन कोशिकाओं के वितरण को देखता है।

डॉक्टर टीएलसी के साथ-साथ डीएलसी परीक्षण की सलाह देते हैं जिसमें बुखार, कमजोरी, संक्रमण, सूजन या वास्तव में किसी भी प्रकार की प्रतिरक्षा प्रणाली प्रतिक्रिया होने पर परीक्षण शामिल है। ये परीक्षण परिणाम एक निरंतर अव्यक्त संक्रमण, एलर्जी या प्रतिरक्षा प्रणाली दोनों के आंतों के कार्यों का सुझाव दे सकते हैं। टीएलसी और डीएलसी दोनों परीक्षण एक साथ परिणाम देते हैं और यह सीबीसी (पूर्ण रक्त गणना) परीक्षण का भी हिस्सा है। हालांकि, निष्कर्ष स्वतंत्र रूप से भी पाए जा सकते हैं। इस परीक्षण से पता लगाया जा सकता है कि शरीर में किसी तरह का वायरस या संक्रामक रोग है या नहीं। उदाहरण के लिए, यदि टीएलसी वैल्यूएशन अधिक है, तो यह पूरे शरीर में बीमारी या सूजन का कारण है

। यदि ईकोसाइट्स प्रचुर मात्रा में हैं, तो यह वायरस से प्रेरित होने का संकेत दे सकता है। यह परीक्षण क्यों किया जाता है और इससे क्या पता चलता है? टीएलसी/डीएलसी द्वारा कई न्यूनतम विनिर्देशों का परीक्षण करना बहुत महत्वपूर्ण है। सबसे पहले, यह मांसपेशियों में संक्रमण की पीड़ा का पता लगाने के लिए होगा। यदि रोगी को लगातार बुखार आ रहा है, थकान महसूस हो रही है, या अन्य संक्रमण जैसे लक्षण दिखने की कोशिश कर रहा है, तो डॉक्टर संक्रामक रोग के लक्षण और प्रकार को निर्धारित करने के लिए इस परीक्षण की सिफारिश कर सकते हैं। संक्रामक रोग के संकेत को जानने के लिए सटीक और गंभीर कारण से छोटे बच्चों पर यह परीक्षण किया जाता है।


इस टेस्ट से शरीर में मौजूद सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या और उनके प्रकारों में बदलाव को समझा जाता है। उदाहरण के लिए, न्यूट्रोफिल्स की संख्या में बढ़ोतरी आमतौर पर बैक्टीरियल इंफेक्शन का संकेत देती है, जबकि लिम्फोसाइट्स की अधिकता वायरल संक्रमण का संकेत हो सकती है। इसी तरह, ईओसिनोफिल्स का स्तर बढ़ना एलर्जी या परजीवी संक्रमण (Parasitic Infection) से जुड़ा हो सकता है।

उपरोक्त परीक्षण कैंसर (रक्त कैंसर) और अस्थि मज्जा से संबंधित बीमारियों के निदान के लिए वास्तव में फायदेमंद है। कभी-कभी श्वेत रक्त कोशिका की गिनती सूजन के माध्यम से अनियमित हो सकती है, बल्कि त्वचा के अंदर ऑटोइम्यून स्थितियों जैसे ऑटोइम्यून और गठिया के रूपों के कारण हो सकती है। यह वही टीएलसी/डीएलसी उद्देश्य परीक्षण है जो मांसपेशियों की प्रतिरक्षा प्रणाली के संचालन के किसी प्रकार का प्रारंभिक मूल्यांकन प्रस्तुत करता है, जो इसके आगे के परीक्षण परिणामों और निदान की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

TLC/DLC टेस्ट की फीस कितनी होती है?

यह वही स्थापित हाँ विभिन्न चरणों जैसे डिस्कवरी चैनल और कंसोल चेक में उतार-चढ़ाव होता है क्योंकि प्रयोग बनाम परीक्षण, शहर और साथ ही स्थल के बाद। आम तौर पर ऐसा एक चेक बहुत मूल्यवान नहीं होता है या ऐसे मानक बजट वाला उपयोगकर्ता वास्तव में आसानी से पूरा कर सकता है। एशिया के माध्यम से उक्त प्रयोग की कीमत भिन्न होती है क्योंकि इस तरह के औसत पर ₹100 से ₹500 तक, जबकि कुछ प्रसिद्ध आवासीय प्रयोगशालाओं में यह ₹600 तक जाएगा, - खासकर जब यह कुछ अन्य पूर्ण रक्त गणना (सीबीसी जैसे एबीसी समाचार और स्पेक्ट्रोस्कोपिक) के साथ जोड़ा जाता है।


सरकारी अस्पतालों में यह टेस्ट मुफ्त या बहुत ही कम शुल्क पर उपलब्ध होता है। वहीं अगर आप इसे किसी NABL प्रमाणित प्राइवेट लैब में करवा रहे हैं, तो वहां गुणवत्ता के अनुसार थोड़ी अधिक फीस ली जा सकती है। कई बार स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में यह टेस्ट शामिल होता है, खासकर यदि इसे किसी डॉक्टर की सलाह पर करवाया गया हो।

आजकल ऑनलाइन हेल्थ प्लेटफॉर्म्स जैसे 1mg, Healthians, Redcliffe Labs आदि पर यह टेस्ट घर बैठे सैंपल कलेक्शन के साथ भी करवाया जा सकता है। इनमें टेस्ट की कीमत ₹199 से ₹399 के बीच रहती है, और रिपोर्ट आपको 24 घंटे के भीतर ईमेल या मोबाइल ऐप पर मिल जाती है। कुल मिलाकर, TLC/DLC टेस्ट एक किफायती, उपयोगी और व्यापक जानकारी देने वाला टेस्ट है, जिसे समय-समय पर करवा कर व्यक्ति अपने स्वास्थ्य की निगरानी कर सकता है।

TLC/DLC टेस्ट का सैंपल कैसे लिया जाता है?

TLC और DLC टेस्ट के लिए खून का सैंपल लिया जाता है, एक रक्त का नमूना लिया जाता है, जो एक सामान्य प्रक्रिया है। आमतौर पर, पहले इंजेक्टर का उपयोग करने वाले बाएं हाथ की नसों से कुछ माइक्रोलीटर प्लाज्मा लिया जाता है। ऐसा एक नमूना एक विशेष क्षेत्र की बोतल (ईडीटीए ट्यूब) में लिया जाता है, जो रक्त का थक्का नहीं बनने देता। नमूना संग्रह की ऐसी प्रक्रिया अधिकतम 2-3 मिनट तक चलती है और बहुत कम नुकसान पहुंचाती है। यदि रोगी बच्चा या वृद्ध है, तो विशेष उपचार शुरू किया जाता है ताकि उन्हें कोई असुविधा महसूस न हो।

सैंपल देने से पहले मरीज को किसी विशेष तैयारी की जरूरत नहीं होती, यानी यह टेस्ट फास्टिंग में भी करवाया जा सकता है और बिना फास्टिंग के भी। हालांकि, यदि यह टेस्ट अन्य टेस्ट्स के साथ करवाया जा रहा है, जैसे कि फास्टिंग ब्लड शुगर या लिपिड प्रोफाइल, तो उस स्थिति में खाली पेट रहना जरूरी हो सकता है। डॉक्टर या लैब टेक्नीशियन आपको इसकी जानकारी पहले से दे देते हैं।

एक बार सैंपल इकट्ठा हो जाने के बाद, उसे तुरंत लैब में भेजा जाता है, जहां स्वचालित मशीनों या माइक्रोस्कोपिक स्लाइड्स के जरिए WBC की गिनती और उनका विश्लेषण किया जाता है। रिपोर्ट तैयार होने में अधिकतर 6 से 24 घंटे का समय लगता है। रिपोर्ट में TLC (कुल WBC काउंट) और DLC (प्रत्येक प्रकार के WBC का प्रतिशत) दोनों स्पष्ट रूप से दर्ज होते हैं। इन रिपोर्ट्स को डॉक्टर देखकर यह तय करते हैं कि मरीज को किस प्रकार की चिकित्सा या आगे की जांच की आवश्यकता है।


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