पीलिया जिसे जॉन्डिस (Jaundice) या वायरल हेपेटाइटिस के नाम से भी जाना जाता है, एक आम लेकिन गंभीर रोग है जिसमें त्वचा, आंखें और शरीर के अन्य भाग पीले पड़ जाते हैं। यह बीमारी मुख्य रूप से लिवर से संबंधित समस्याओं के कारण होती है और अगर समय पर इलाज न किया जाए, तो यह घातक भी हो सकती है। इस लेख में हम जानेंगे पीलिया के लक्षण, कारण, बचाव, जांच और इलाज के बारे में।
पीलिया क्या होता है?
पीलिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में बिलीरुबिन (Bilirubin) नामक तत्व की मात्रा बढ़ जाती है। यह तत्व तब उत्पन्न होता है जब शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं टूटती हैं। सामान्य रूप से यह बिलीरुबिन लिवर द्वारा फिल्टर होकर शरीर से बाहर निकलता है, लेकिन यदि लिवर में कोई समस्या हो, तो यह प्रक्रिया बाधित हो जाती है और बिलीरुबिन शरीर में जमा होने लगता है, जिससे त्वचा और आंखें पीली हो जाती हैं।
पीलिया (Jaundice) के लक्षण क्या है? - Symptoms of Jaundice
आंखों और त्वचा का पीला होना
गाढ़े पीले रंग का पेशाब
मल का हल्का या सफेद रंग
पेट में दर्द या सूजन
बार-बार उल्टी या मितली
त्वचा में खुजली
थकान और कमजोरी
भूख की कमी
बुखार या ठंड लगना
वजन में गिरावट
पीलिया के कारण - Causes of Jaundice
पीलिया, जिसे मेडिकल भाषा में "जॉन्डिस" (Jaundice) कहा जाता है, लिवर की एक प्रमुख समस्या है जो रक्त में बिलीरुबिन की मात्रा अधिक हो जाने के कारण होती है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब लिवर ठीक से कार्य नहीं करता या पित्त नलियों में कोई रुकावट होती है। पीलिया के कई प्रमुख कारण होते हैं जो विभिन्न प्रकार के रोगों और जीवनशैली से जुड़े होते हैं।
1. हेपेटाइटिस वायरस संक्रमण (Hepatitis A, B, C):
संक्रमण एक, बी सी वायरल रोग न केवल यकृत में रोग फैलाता है बल्कि इसमें सूजन भी पैदा करता है। यह वायरस पाचन तंत्र के पूर्ण संचालन को कम करता है लेकिन यह प्लाज्मा से एलडीएल-सी को छानने में असमर्थ होता है, जिसके कारण शरीर में कुछ जमा हो जाता है और यह कोलेसिस्टिटिस भी पैदा करता है।
2. लिवर की बीमारियाँ:
लंबे समय से अल्कोहल का सेवन, मोटापा या वायरल संक्रमण के कारण लिवर में फाइब्रोसिस हो सकता है, जिसे सिरोसिस कहते हैं। फैटी लिवर और लिवर कैंसर भी लिवर की संरचना और कार्यप्रणाली को प्रभावित करते हैं, जिससे पीलिया हो सकता है।
3. रक्त कोशिकाओं का अत्यधिक टूटना (Hemolysis):
कुछ स्थितियों में शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं सामान्य से अधिक तेजी से टूटने लगती हैं। इन कोशिकाओं के टूटने से बिलीरुबिन की मात्रा तेजी से बढ़ जाती है, जिससे लिवर उसे पूरी तरह से प्रोसेस नहीं कर पाता और पीलिया हो जाता है।
4. गॉलब्लैडर स्टोन (पित्ताशय की पथरी):
पित्ताशय में पथरी होने से पित्त की नली में रुकावट आ जाती है, जिससे बिलीरुबिन का सामान्य बहाव रुक जाता है और वह रक्त में वापस आ जाता है, जिससे त्वचा और आंखें पीली पड़ने लगती हैं।
5. जन्मजात रोग (जैसे गेल वेस्क डिजीज):
कुछ बच्चों में जन्म से ही बिलीरुबिन की मेटाबॉलिज्म प्रक्रिया में गड़बड़ी होती है, जिससे नवजात शिशुओं में पीलिया देखने को मिलता है। यह स्थिति आमतौर पर कुछ हफ्तों में अपने आप ठीक हो जाती है, लेकिन गंभीर मामलों में इलाज आवश्यक होता है।
6. दवाओं का दुष्प्रभाव:
कुछ एंटीबायोटिक्स, एंटीट्यूबरकुलर या एंटीमलेरियल दवाएं लिवर को नुकसान पहुंचा सकती हैं और पीलिया का कारण बन सकती हैं। इन दवाओं का सेवन हमेशा डॉक्टर की निगरानी में करना चाहिए।
7. शराब का अत्यधिक सेवन:
लंबे समय तक शराब का सेवन लिवर की कोशिकाओं को नष्ट करता है और धीरे-धीरे लिवर सिरोसिस की स्थिति में पहुंच जाता है। इससे बिलीरुबिन की प्रक्रिया प्रभावित होती है और व्यक्ति को पीलिया हो सकता है।
इसलिए, पीलिया के इन संभावित कारणों को समझना और समय रहते इनसे बचाव करना जरूरी है, ताकि लिवर स्वस्थ बना रहे और शरीर में बिलीरुबिन का स्तर नियंत्रित रह सके।
पीलिया (Jaundice) से बचाव के उपाय क्या है? - Prevention of Jaundice
साफ-सफाई का ध्यान रखें
उबला हुआ या फिल्टर किया हुआ पानी पिएं
बाहर का खाना खाने से बचें
सब्जियां और फल अच्छी तरह धोकर ही खाएं
संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क से बचें
हेपेटाइटिस के खिलाफ टीकाकरण कराएं
शराब और नशीले पदार्थों से दूर रहें
नियमित स्वास्थ्य जांच कराते रहें
पीलिया की जांच - Tests for Jaundice
पीलिया की पुष्टि के लिए डॉक्टर निम्न जांचों की सलाह दे सकते हैं:
बिलीरुबिन टेस्ट – शरीर में बिलीरुबिन का स्तर जानने के लिए
LFT (Liver Function Test) – लिवर के कार्य की जांच
हेपेटाइटिस A, B, C टेस्ट – वायरस के कारणों की पहचान
अल्ट्रासाउंड या CT स्कैन – लिवर, गॉलब्लैडर की स्थिति जानने हेतु
लिवर बायोप्सी – गंभीर मामलों में लिवर की बारीकी से जांच
पीलिया का इलाज - Treatment of Jaundice
पीलिया के इलाज का तरीका उसकी जड़ कारण पर निर्भर करता है:
1. आराम और परहेज
आराम करना जरूरी है
अल्कोहल का सेवन बिल्कुल बंद करें
फैटी और मसालेदार भोजन से परहेज करें
2. स्वस्थ आहार
हल्का और सुपाच्य भोजन लें
मौसमी फल जैसे केला, पपीता, अनार, नारियल पानी आदि लें
ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं
नींबू पानी और गन्ने का रस पीलिया में बेहद फायदेमंद होता है
3. दवा और चिकित्सा
हेपेटाइटिस होने पर एंटीवायरल दवाएं दी जा सकती हैं
अगर स्टोन है तो सर्जरी का सुझाव मिल सकता है
किसी दवा के कारण पीलिया हुआ है तो दवा बंद की जाती है
4. आयुर्वेदिक उपाय (डॉक्टर की सलाह से)
अंजन, त्रिफला, कुटकी, और कास्टर ऑयल का उपयोग
गिलोय, भृंगराज रस का सेवन लाभदायक माना गया है
FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q1: पीलिया को जड़ से कैसे खत्म करें?
Ans: साफ-सफाई, संतुलित आहार और डॉक्टर के बताये अनुसार दवाएं लें। लिवर को आराम दें और समय पर जांच कराएं।
Q2: पीलिया में क्या खाना चाहिए?
Ans: हल्का, ताजा, और सुपाच्य आहार जैसे खिचड़ी, दाल, फल, नारियल पानी, गन्ने का रस आदि।
Q3: पीलिया किसकी कमी से होता है?
Ans: यह लिवर की कार्यप्रणाली में कमी, हेपेटाइटिस संक्रमण, या रक्त कोशिकाओं के टूटने से होता है।
Q4: पीलिया में कौन सा फल खाएं?
Ans: अनार, नारियल, पपीता, केला, सेब और मौसमी फल पीलिया में लाभदायक होते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
पीलिया एक आम लेकिन गंभीर रोग हो सकता है यदि इसे नजरअंदाज किया जाए। समय पर पहचान, उचित जांच, साफ-सफाई, संतुलित आहार और डॉक्टर की सलाह से इसका इलाज संभव है। अगर आप या आपके किसी प्रियजन में पीलिया के लक्षण दिखाई दें, तो बिना देर किए डॉक्टर से सलाह लें और सतर्क रहें। स्वास्थ्य ही जीवन की असली पूंजी है।