डिप्लोमा इन आयुर्वेदिक मेडिसिन (Diploma in Ayurvedic Medicine) भारत में आयुर्वेद के क्षेत्र में एक लोकप्रिय शॉर्ट-टर्म कोर्स है जो छात्रों को आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति की बुनियादी समझ प्रदान करता है। यह कोर्स विशेष रूप से उन छात्रों के लिए डिज़ाइन किया गया है जो आयुर्वेद के क्षेत्र में प्रवेश करना चाहते हैं लेकिन लंबे समय तक चलने वाले BAMS आपको इन जैसी कक्षाओं की आवश्यकता नहीं हो सकती। इस सभी स्नातक कार्यक्रम की अवधि कभी-कभी लगभग 2 पीढ़ियों की होती है, जिसमें सैद्धांतिक और व्यावहारिक शिक्षण दोनों शामिल होते हैं।
1. कोर्स क्या है?
आयुर्वेदिक के माध्यम से कुतरना एक अपेक्षाकृत संक्षिप्त वर्ग प्रतीत होता है, सभी 1-2 शताब्दियों के बाद कहा जाता है कि हर्बल उपचार दवाएं, पेड़ पौधे नहीं बल्कि तथ्य आधारित आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली सिखाई जाती थी। उपर्युक्त मार्ग उन शिक्षाविदों के लिए होगा जो किसी तरह के संक्षिप्त समय में इसी हर्बल उपचार के क्षेत्र को खोलना चाहते हैं।
2. कोर्स कैसे करें?
योग्यता (Eligibility):
would have to have researched 10+2 (pcb – chemical properties, biology) regarding stage 50%.
आयु सीमा: न्यूनतम 17 वर्ष
प्रवेश प्रक्रिया:
डायरेक्ट एडमिशन (कुछ संस्थानों में)
इस कोर्स के पाठ्यक्रम में आयुर्वेद के मूल सिद्धांतों, हर्बल दवाओं के निर्माण, पंचकर्म थेरेपी की बेसिक जानकारी और योगिक चिकित्सा जैसे विषयों को शामिल किया जाता है। छात्रों को आयुर्वेदिक फार्मेसी (भैषज्य कल्पना) के बारे में विस्तार से पढ़ाया जाता है, जिसमें विभिन्न जड़ी-बूटियों से दवाएं बनाने की तकनीक सिखाई जाती है। इसके अलावा, कोर्स में आयुर्वेदिक निदान पद्धति (रोग निदान) और आहार विज्ञान (आहार-विहार) पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है।
डिप्लोमा इन आयुर्वेदिक मेडिसिन कोर्स करने के लिए शैक्षणिक योग्यता 12वीं कक्षा विज्ञान वर्ग (PCB - फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी) से उत्तीर्ण होना आवश्यक है। कुछ संस्थानों में न्यूनतम 50% अंकों की आवश्यकता होती है, जबकि SC/ST वर्ग के छात्रों के लिए यह सीमा 40% तक हो सकती है। आयु सीमा की बात करें तो छात्र की न्यूनतम आयु 17 वर्ष होनी चाहिए। प्रवेश प्रक्रिया अलग-अलग संस्थानों में भिन्न हो सकती है - कुछ कॉलेज सीधे मेरिट के आधार पर प्रवेश देते हैं, जबकि कुछ अपनी प्रवेश परीक्षा आयोजित करते हैं।
इस कोर्स की फीस संस्थान के प्रकार (सरकारी/निजी) और उसकी स्थिति पर निर्भर करती है। सरकारी आयुर्वेदिक कॉलेजों में यह फीस ₹10,000 से ₹30,000 प्रति वर्ष तक हो सकती है, जबकि निजी संस्थानों में यह ₹50,000 से ₹1,00,000 प्रति वर्ष या अधिक भी हो सकती है। कुछ प्रतिष्ठित संस्थानों में फीस इससे भी अधिक हो सकती है, लेकिन वे बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग की सुविधा प्रदान करते हैं।
डिप्लोमा इन आयुर्वेदिक मेडिसिन कोर्स पूरा करने के बाद छात्रों के लिए विभिन्न करियर विकल्प उपलब्ध होते हैं। वे आयुर्वेदिक क्लीनिक्स या हॉस्पिटल्स में मेडिकल असिस्टेंट के रूप में काम कर सकते हैं। आयुर्वेदिक फार्मास्युटिकल कंपनियों में हर्बल प्रोडक्ट कंसल्टेंट या रिसर्च असिस्टेंट के पद पर कार्य करने का अवसर मिल सकता है। वेलनेस सेंटर्स और स्पा में आयुर्वेदिक थेरेपिस्ट के रूप में भी रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं। इसके अलावा, कोई भी छात्र अपना खुद का छोटा आयुर्वेदिक क्लिनिक या हर्बल प्रोडक्ट्स का व्यवसाय शुरू कर सकता है।
इस डिप्लोमा कोर्स का एक महत्वपूर्ण लाभ यह है कि यह छात्रों को आयुर्वेदिक शिक्षा का एक बेसिक फ्रेमवर्क प्रदान करता है, जिसके आधार पर वे भविष्य में BAMS (बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी) जैसे उच्च शिक्षा कार्यक्रमों में प्रवेश ले सकते हैं। कई विश्वविद्यालय इस डिप्लोमा कोर्स को BAMS की पढ़ाई के लिए एक फाउंडेशन कोर्स के रूप में मान्यता देते हैं। इसके अलावा, छात्र पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन पंचकर्म या आयुर्वेदिक फार्मेसी जैसे विशेषज्ञता वाले कोर्सेज भी कर सकते हैं।
इस कोर्स की पढ़ाई के दौरान छात्रों को विभिन्न प्रकार के प्रैक्टिकल अनुभव प्राप्त होते हैं। उन्हें आयुर्वेदिक दवाएं बनाने, हर्बल फॉर्मूलेशन तैयार करने और बेसिक पंचकर्म प्रक्रियाएं सीखने का मौका मिलता है। कई संस्थान अपने छात्रों को स्थानीय आयुर्वेदिक अस्पतालों या क्लीनिक्स में इंटर्नशिप करवाते हैं, जिससे उन्हें वास्तविक कार्य वातावरण का अनुभव प्राप्त होता है।
डिप्लोमा इन आयुर्वेदिक मेडिसिन कोर्स की एक विशेषता यह है कि यह कोर्स न केवल पारंपरिक आयुर्वेदिक ज्ञान पर बल्कि आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर भी ध्यान केंद्रित करता है। छात्रों को आयुर्वेदिक सिद्धांतों और आधुनिक मेडिकल साइंस के बीच तालमेल बिठाना सिखाया जाता है। इससे वे पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान दोनों का लाभ उठा सकते हैं।
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के कारण इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर लगातार बढ़ रहे हैं। सरकारी अस्पतालों, आयुष स्वास्थ्य केंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में आयुर्वेदिक चिकित्सकों और सहायक कर्मचारियों की मांग बढ़ी है।
इस कोर्स का एक अन्य लाभ यह है कि यह छात्रों को आयुर्वेद के क्षेत्र में उद्यमी बनने के लिए भी तैयार करता है। कोर्स के दौरान दिए जाने वाले व्यावसायिक प्रशिक्षण से छात्र सीखते हैं कि कैसे एक छोटा आयुर्वेदिक क्लिनिक शुरू किया जाए, हर्बल उत्पादों का निर्माण किया जाए या आयुर्वेदिक वेलनेस सेंटर चलाया जाए। इस प्रकार का स्वरोजगार आज के समय में एक लाभदायक करियर विकल्प साबित हो सकता है।
डिप्लोमा इन आयुर्वेदिक मेडिसिन कोर्स की शिक्षा पद्धति में थ्योरी और प्रैक्टिकल का अच्छा संतुलन रखा जाता है। कक्षा शिक्षण के साथ-साथ प्रयोगशाला कार्य, फील्ड विजिट और केस स्टडीज पर विशेष जोर दिया जाता है। इससे छात्रों को न केवल किताबी ज्ञान बल्कि व्यावहारिक अनुभव भी प्राप्त होता है। कई संस्थान सेमिनार, वर्कशॉप और गेस्ट लेक्चर्स का आयोजन भी करते हैं, जिससे छात्रों को आयुर्वेद के विशेषज्ञों से सीधे ज्ञान प्राप्त करने का अवसर मिलता है।
इस कोर्स को करने के बाद छात्रों के लिए विदेशों में भी करियर के अवसर उपलब्ध हो सकते हैं। विश्व भर में आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों की बढ़ती लोकप्रियता के कारण कई देशों में आयुर्वेदिक चिकित्सकों और सलाहकारों की मांग है। हालांकि विदेशों में काम करने के लिए संबंधित देश के नियमों और विनियमों का पालन करना आवश्यक होता है।
3. कोर्स की अवधि
1 साल (सर्टिफिकेट कोर्स)
2 साल (डिप्लोमा कोर्स)
4. कोर्स में पढ़ाए जाने वाले विषय
1. आयुर्वेद के बेसिक सिद्धांत
3. पंचकर्म की बेसिक्स
4. आयुर्वेदिक फार्मेसी (Bhaishajya Kalpana)
5. योग और प्राकृतिक चिकित्सा
6. डाइट और न्यूट्रिशन थेरेपी
5. फीस (Course Fees)
सरकारी कॉलेजों में फीस ₹10,000 से लेकर ₹30,000 (पूरे कोर्स के लिए) तक है
प्राइवेट कॉलेज में फीस ₹50,000 से ₹1,00,000 (पूरे कोर्स के लिए)
6. करियर ऑप्शन्स
आयुर्वेदिक मेडिकल असिस्टेंट
अंत में, यह कहा जा सकता है कि डिप्लोमा इन आयुर्वेदिक मेडिसिन कोर्स आयुर्वेद के क्षेत्र में एक संक्षिप्त लेकिन समग्र परिचय प्रदान करता है। यह उन छात्रों के लिए एक आदर्श विकल्प है जो कम समय में आयुर्वेदिक चिकित्सा की बुनियादी शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं। इस कोर्स के माध्यम से छात्र न केवल एक पारंपरिक चिकित्सा पद्धति सीखते हैं बल्कि आधुनिक समय की स्वास्थ्य चुनौतियों का प्राकृतिक समाधान भी जान पाते हैं।