Routine Urine Examination: कंप्लीट यूरिन टेस्ट में क्या-क्या होता है?

 

full urine dipstick through indian languages, urine sample kahin yeh, health coverage,lady wellness, urine dipstick kiya aap ki, bodily fluids virus exam, renal experiment, lab test reasoning along marathi

Urinalysis Explained in Hindi

कंप्लीट यूरिन टेस्ट, जिसे मेडिकल भाषा में रूटीन यूरिन एनालिसिस (Routine Urine Analysis) भी कहा जाता है, एक साधारण लेकिन बेहद महत्वपूर्ण पैथोलॉजिकल टेस्ट है जो हमारे शरीर की कई बीमारियों का पता लगाने में मदद करता है। यह टेस्ट पेशाब (यूरिन) के नमूने की जांच के माध्यम से किया जाता है और इसका उद्देश्य शरीर में किसी रोग, संक्रमण, या किसी अंग विशेष (जैसे किडनी, लिवर, ब्लैडर आदि) की खराबी का संकेत प्राप्त करना होता है। यह टेस्ट सरल, कम लागत वाला और दर्द रहित प्रक्रिया है, जिसे डॉक्टर सामान्य जांच या किसी विशेष लक्षण की पुष्टि के लिए लिखते हैं।

यूरिन टेस्ट क्यों किया जाता है?

यूरिन टेस्ट करवाने के कई कारण हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं:

किडनी फंक्शन की जांच: किडनी की बीमारी का पता लगाने के लिए।

यूटीआई (Urinary Tract Infection) की पहचान के लिए।

डायबिटीज या शुगर की स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए।

प्रेग्नेंसी के दौरान सामान्य जांच के रूप में।

लीवर से संबंधित रोगों का पता लगाने के लिए।

ड्रग्स या टॉक्सिन्स की मौजूदगी की जांच के लिए।

ब्लड प्रेशर या हार्ट डिजीज के रोगियों में निगरानी के लिए।

कंप्लीट यूरिन टेस्ट में कौन-कौन सी जांच होती है?

कंप्लीट यूरिन टेस्ट मुख्यतः तीन चरणों में किया जाता है:

यूरिन टेस्ट से क्या-क्या पता चलता है? जानिए पूरी जांच प्रक्रिया हिंदी में

1. फिजिकल एग्जामिनेशन (Physical Examination)

यह जांच पेशाब के रंग, गंध, मात्रा और स्पष्टता का निरीक्षण करती है।

रंग (Color): सामान्य यूरिन हल्के पीले रंग का होता है। गहरा पीला, भूरे या लाल रंग का यूरिन किसी समस्या का संकेत हो सकता है।

स्पष्टता (Clarity): सामान्य रूप से यूरिन पारदर्शी होता है। अगर यह गंदला या धुंधला हो, तो इसका मतलब हो सकता है कि उसमें बैक्टीरिया, म्यूकस, या पसीना मौजूद है।

गंध (Odor): सामान्य यूरिन की गंध हल्की होती है। तेज, मीठी या बदबूदार गंध संक्रमण या डायबिटीज का संकेत हो सकती है।

मात्रा (Volume): सामान्य यूरिन मात्रा एक दिन में 800–2000 ml तक होती है।

2. केमिकल एग्जामिनेशन (Chemical Examination)

यह परीक्षण स्ट्रिप्स (dipstick) की सहायता से किया जाता है जो यूरिन में मौजूद विभिन्न केमिकल्स की पहचान करती है।

pH लेवल: यह इसके अम्लीकरण और पोटेशियम बाइकार्बोनेट जैसे तरल पदार्थों को दर्शाता है। औसत आयनिक शक्ति 4.5 और 8.1 से अधिक के बीच होती है।

प्रोटीन (Protein): सामान्य यूरिन में प्रोटीन नहीं होना चाहिए। प्रोटीन की उपस्थिति किडनी की बीमारी का संकेत हो सकती है।

ग्लूकोज (Glucose): यदि यूरिन में शुगर पाई जाती है, तो यह डायबिटीज का संकेत हो सकता है।

कीटोन्स (Ketones): यह शरीर में फैट के टूटने से बनते हैं और यह डायबिटिक किटोसिस या भूख की स्थिति में दिखाई देते हैं।

बिलिरुबिन और यूरोबिलिनोजन: यह लिवर या ब्लड डिसऑर्डर से संबंधित होते हैं।

नाइट्राइट और ल्यूकोसाइट एस्टरेज: यह यूटीआई की पहचान में मदद करते हैं।

ब्लड (Hematuria): यदि यूरिन में खून पाया जाता है, तो यह संक्रमण, पथरी या अन्य गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है।

3. माइक्रोस्कोपिक एग्जामिनेशन (Microscopic Examination)

इस जांच में यूरिन के सैंपल को माइक्रोस्कोप के नीचे जांचा जाता है ताकि उसमें मौजूद सूक्ष्म कणों का विश्लेषण किया जा सके।

रेड ब्लड सेल्स (RBC): इनकी उपस्थिति यूरिनरी ट्रैक्ट में ब्लीडिंग का संकेत देती है।

व्हाइट ब्लड सेल्स (WBC): इनकी संख्या ज्यादा होने पर संक्रमण की संभावना होती है।

एपिथीलियल सेल्स: यह ब्लैडर की लाइनिंग से आते हैं। इनकी अधिकता किसी इन्फेक्शन या टॉक्सिक स्थिति की ओर इशारा कर सकती है।

कास्ट्स (Casts): यह सिलेंडरनुमा संरचनाएं होती हैं जो कि किडनी ट्यूब में बनती हैं। अलग-अलग प्रकार के कास्ट्स किडनी की विभिन्न समस्याओं को दर्शाते हैं।

क्रिस्टल्स (Crystals): शारीरिक तरल पदार्थ में मौजूद कणिकाएं गुर्दे की पथरी के निर्माण का संकेत दे सकती हैं।

बैक्टीरिया या यीस्ट: ये इन्फेक्शन का कारण हो सकते हैं।

यूरिन टेस्ट की प्रक्रिया कैसे होती है?

यूरिन टेस्ट के लिए आमतौर पर व्यक्ति को एक साफ़ कंटेनर में पेशाब का सैंपल देना होता है। सुबह की पहली पेशाब सबसे उत्तम मानी जाती है क्योंकि उसमें केमिकल्स और कणों की सांद्रता अधिक होती है।

स्टेप्स:

सबसे पहले निजी हिस्से को साफ करें।

मिड-स्ट्रीम यूरिन दें (शुरुआती थोड़ी पेशाब छोड़ दें, फिर कंटेनर में सैंपल लें)।

कंटेनर को अच्छी तरह बंद करें और लैब को दें।

टेस्ट के रिजल्ट की व्याख्या

यूरिन एनालिसिस के नतीजे आपको शरीर की मौजूदा स्थिति और संभावित रोगों के बारे में जानकारी देते हैं। यदि कोई असामान्यता पाई जाती है, तो डॉक्टर आगे की जांच जैसे कि यूरिन कल्चर, ब्लड टेस्ट, अल्ट्रासाउंड, या CT स्कैन लिख सकते हैं।

उदाहरण:

यूरिन में प्रोटीन +++, ग्लूकोज ++ → डायबिटीज की ओर इशारा।

यूरिन में RBCs और कास्ट्स → किडनी डैमेज का संकेत।

यूरिन में नाइट्राइट और WBCs → बैक्टीरियल इंफेक्शन।

क्या यह टेस्ट प्रेग्नेंसी में किया जाता है?

जी हाँ, कंप्लीट यूरिन एनालिसिस गर्भावस्था में बेहद आवश्यक होता है। इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि माँ और बच्चे दोनों की किडनी सही से काम कर रही है और संक्रमण या अन्य समस्याओं का समय रहते इलाज हो सके।

निष्कर्ष (Conclusion)

कंप्लीट यूरिन टेस्ट एक बहुत ही उपयोगी और सामान्य पैथोलॉजिकल जांच है जो शरीर के कई अंगों और बीमारियों की शुरुआती जानकारी प्रदान करता है। यह टेस्ट न सिर्फ रोग की पहचान करता है, बल्कि कई बार बीमारी के गंभीर होने से पहले ही चेतावनी दे देता है। इसलिए यदि डॉक्टर यूरिन टेस्ट की सलाह दें, तो उसे नज़रअंदाज़ न करें।

याद रखें, समय पर की गई जांच और सही इलाज आपको बड़ी बीमारियों से बचा सकते हैं।


Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)
Our institute is registered with The Ministry of Micro, Small and Medium Enterprises, a branch of the Government of India and membership approved by Quality Council of India. Our institute is registered in ISO certified 9001-2015.