Biceps Workout, Muscle Building Tips, बाइसेप्स की साइज बढ़ाने के लिए सही रिकवरी और वर्कआउट शेड्यूल कितना जरूरी है?

 

Biceps Workout, Muscle Building Tips, बाइसेप्स की साइज बढ़ाने के लिए सही रिकवरी और वर्कआउट शेड्यूल कितना जरूरी है?

बॉडीबिल्डिंग और फिटनेस की शुरुआत करने वाले अधिकतर लोग चाहते हैं कि उनकी बाइसेप्स (Biceps) बड़ी, मजबूत और आकर्षक दिखें। लेकिन कई बार लगातार जिम जाने और मेहनत करने के बाद भी बाइसेप्स की मसल्स नहीं बढ़तीं। इसका सबसे बड़ा कारण होता है - गलत व्यायाम योजना के कारण आपको पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता। यदि आप अपने अग्रभागों को बार-बार प्रशिक्षित करते हैं, या बिना आराम के हर दिन एक ही मांसपेशी को प्रशिक्षित करते हैं, तो मांसपेशियां थक जाती हैं और उन्हें थकान से उबरने का मौका भी नहीं मिलता।

बॉडी में जब तक रिकवरी नहीं होगी, तब तक ग्रोथ नहीं होगी। बाइसेप्स छोटी मसल्स होती हैं और इन्हें हर दिन ट्रेन करने की जरूरत नहीं होती। बल्कि, ज़रूरत होती है सही तरीके से ट्रेन करने की और उसके बाद सही डाइट, नींद और आराम देने की। अगर आप रोज़-रोज बाइसेप्स ट्रेन करते हैं, तो आप मसल्स को तोड़ रहे हैं, लेकिन उसे रिपेयर और ग्रो होने का समय नहीं दे रहे।

इसलिए मसल्स ग्रोथ के लिए यह जानना ज़रूरी है कि सिर्फ वर्कआउट नहीं, वर्कआउट + रिकवरी का कॉम्बिनेशन ही बाइसेप्स बढ़ाने में मदद करता है।

बाइसेप्स की रिकवरी कितनी जरूरी और कितनी होनी चाहिए? 

बाइसेप्स को ट्रेन करने के बाद रिकवरी देना क्यों जरूरी है? इसका जवाब छुपा है हमारे मसल्स की संरचना में। जब भी हम एक्सरसाइज़ करते हैं, खासकर जब वेट उठाते हैं, तब हमारी मसल्स में माइक्रो-टियरिंग (Micro-Tearing) यानी छोटे-छोटे फाइबर टूटते हैं। यह एक सामान्य प्रक्रिया है, और यही मसल्स ग्रोथ का पहला स्टेप होता है।

अब, जब हम वर्कआउट के बाद अपने शरीर को प्रोटीन, नींद और आराम देते हैं, तब यह फाइबर धीरे-धीरे जुड़ते हैं और पहले से ज्यादा मजबूत व मोटे बनते हैं। यही प्रक्रिया मसल्स ग्रोथ कहलाती है। लेकिन अगर आप हर दिन बाइसेप्स को ट्रेन करते हैं, तो मसल्स को रिकवर होने का समय नहीं मिलेगा और न ही वो ग्रो कर पाएंगे। नतीजा यह होता है कि मसल्स का साइज बढ़ने की बजाय वो थके हुए और कमजोर दिखने लगते हैं।

पेशेवर के अनुसार, इसे कम से कम 24-72 बार (2 से तीन दिन) प्राप्त करना वास्तव में आवश्यक है, हाँ अब बाकी है क्योंकि यह वही हथियार और कंधे हैं। उस समय के दौरान, कैसिइन पोषण, 7-8 मात्रा में आराम लेकिन इसके बजाय उचित पानी का सेवन आवश्यक है। पूरे के साथ-साथ, टहलने के साथ-साथ रोशनी के व्यायाम को भी बेहतर बनाया जा सकता है ताकि बेहतरीन कटिंग टूल आर्किटेक्ट्स और रक्त के संचार का ख्याल रखा जा सके।


सही वर्कआउट शेड्यूल और डाइट का क्या रोल है?

बाइसेप्स की मसल्स बढ़ाने में सिर्फ रिकवरी ही नहीं, सही वर्कआउट शेड्यूल और संतुलित डाइट भी बहुत जरूरी है। अगर आपका वर्कआउट रूटीन सही नहीं है, या आप गलत एक्सरसाइज़ कर रहे हैं, तो विशाल ऊपरी भुजाओं का निर्माण करना वास्तव में मुश्किल हो सकता है। एक सही इरादे से आपको सप्ताह में 1-2 बार भुजाओं और कंधों को विकसित करने की अनुमति मिल सकती है, हर बार 5-6 अलग-अलग चालें, जैसे डंबल नेचुरल वेव्स, हैमर कर्ल रिंगलेट्स, इंटेंसिटी रिंगलेट्स, नेल नेचुरल वेव्स, पास्टर कर्ली हेयर, आदि।

इसके अलावा, बाइसेप्स वर्कआउट को अकेले न करके, Push-Pull-Legs स्प्लिट रूटीन में शामिल करना ज्यादा प्रभावी होता है। इसमें एक दिन Back & Biceps, दूसरे दिन Chest & Triceps, और तीसरे दिन Legs & Shoulders वर्कआउट किया जाता है। इससे हर मसल ग्रुप को पर्याप्त आराम और रिकवरी मिलती है।

अब बात करते हैं डाइट की। अगर आपकी डाइट में प्रोटीन, हेल्दी फैट्स, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और मिनरल्स नहीं हैं, तो मसल्स ग्रोथ नहीं हो पाएगी। बाइसेप्स को बढ़ाने के लिए आपको रोज़ाना अपने बॉडी वेट के अनुसार 1.5 से 2 ग्राम प्रति किलो प्रोटीन लेना चाहिए। अंडे, दूध, पनीर, चिकन, दालें, प्रोटीन पाउडर आदि अच्छे स्रोत हैं।


बाइसेप्स मसल्स ग्रोथ के लिए कुछ जरूरी सुझाव 

बाइसेप्स की मसल्स ग्रोथ के लिए नीचे दिए गए सुझावों को ध्यान में रखें:

बाइसेप्स की मसल्स ग्रोथ के लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है, ताकि आपकी मेहनत सही दिशा में जाए और आपको अच्छे रिजल्ट मिलें। सबसे पहले यह समझना ज़रूरी है कि ओवरट्रेनिंग यानी ज़रूरत से ज़्यादा एक्सरसाइज़ करना, मसल्स के लिए नुकसानदायक हो सकता है। बाइसेप्स एक छोटी मसल है जिसे हफ्ते में दो बार से अधिक ट्रेन करने की ज़रूरत नहीं होती। मसल्स जब रिकवर नहीं कर पातीं, तो उनका विकास रुक जाता है। इसके साथ ही एक्सरसाइज़ के दौरान फॉर्म का सही होना बहुत मायने रखता है। बहुत से लोग भारी वजन उठाने के चक्कर में गलत तरीके से एक्सरसाइज़ करते हैं, जिससे न तो मसल्स पर सही असर पड़ता है और न ही ग्रोथ होती है। इसलिए हमेशा कंट्रोल और सही तकनीक के साथ वर्कआउट करें। बाइसेप्स ग्रोथ के लिए प्रोग्रेसिव ओवरलोड जरूरी है यानी धीरे-धीरे वजन बढ़ाते जाएं ताकि मसल्स पर नया दबाव पड़े और वो विकसित हो सकें। हर हफ्ते 5% से 10% वेट बढ़ाना एक अच्छा तरीका है।

मांसपेशियों के लिए न केवल पुनर्वास बल्कि झपकी लेना भी बहुत महत्वपूर्ण है। लगभग 6-8 घंटे की नींद लें ताकि मांसपेशियां ठीक से काम कर सकें। इसके अलावा, वैज्ञानिकता बहुत महत्वपूर्ण है; पानी की मात्रा कम होनी चाहिए क्योंकि प्रति दिन 3-4 किलोलीटर, ताकि मांसपेशियों में रक्त का प्रवाह बना रहे और नसों में रक्त का प्रवाह बना रहे। न केवल ऊपरी भुजाओं, बल्कि अग्रबाहुओं और बाइसेप्स को भी शामिल करें, ताकि एक पूरे हथियार का निर्माण पूरा हो सके। मसल्स ग्रोथ के लिए बैलेंस्ड डाइट ज़रूरी है, लेकिन अगर प्रोटीन की पूर्ति भोजन से नहीं हो पा रही तो प्रमाणित प्रोटीन सप्लीमेंट्स का सीमित उपयोग किया जा सकता है — लेकिन किसी योग्य ट्रेनर या डॉक्टर की सलाह से ही। इन सभी बातों को अपनाकर आप बाइसेप्स की मसल्स को प्रभावी ढंग से बड़ा और मजबूत बना सकते हैं। याद रखें, मसल्स बिल्डिंग सिर्फ जिम में मेहनत करने से नहीं होती, बल्कि सही तकनीक, सही आराम और सही पोषण के मेल से होती है।



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