BAMS कोर्स क्या है?
आखिरकार स्नातक आयुर्वेदिक और साथ ही शल्य चिकित्सा प्रक्रिया (BAMS) वास्तव में मुख्य रूप से जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। मुख्य रूप से मौसम के अनुकूल चिकित्सा व्यापक अनुसंधान आगे प्राकृतिक स्वास्थ्य स्कूली शिक्षा प्रणाली को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। उक्त कक्षाओं को प्रेसीडेंसी हाँ एशिया के संकाय मंत्रालय दोनों द्वारा लेने के लिए चुना जाएगा और इसे CCIM (सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन) द्वारा रेगुलेट किया जाता है। इस कोर्स में आयुर्वेद के सिद्धांतों, हर्बल मेडिसिन, सर्जरी और मॉडर्न मेडिकल साइंस की पढ़ाई शामिल होती है।
BAMS करने के फायदे
पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा का संयुक्त ज्ञान
सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में नौकरी के अवसर
खुद का क्लिनिक या आयुर्वेदिक फार्मेसी शुरू करने का विकल्प
आयुष मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त डिग्री
BAMS कोर्स कैसे करें?
1. योग्यता (Eligibility)
शैक्षणिक योग्यता: 12वीं कक्षा (PCB) यानी फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी विषयों के साथ पास होना जरूरी है।
न्यूनतम अंक: 50% (General Category), 40% (SC/ST/OBC के लिए)।
आयु सीमा: न्यूनतम 17 वर्ष (कुछ राज्यों में अलग नियम हो सकते हैं)।
2. एंट्रेंस एग्जाम
BAMS में प्रवेश पाने के लिए, कानून द्वारा एनईईटी (राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा) को पूरी तरह से उत्तीर्ण करना अनिवार्य है। जब आप एनईईटी में अच्छी रैंक प्राप्त करते हैं, तो आपको सरकारी या कॉर्पोरेट वैकल्पिक स्वास्थ्य कॉलेजों में सीटें मिलती हैं।
3. काउंसलिंग और एडमिशन
NEET रिजल्ट के बाद आयुष मंत्रालय या राज्य सरकार द्वारा काउंसलिंग होती है।
क्या 12वीं आर्ट्स वाला BAMS कर सकता है?
नहीं, BAMS कोर्स के लिए 12वीं में साइंस स्ट्रीम (PCB) होना अनिवार्य है। आर्ट्स या कॉमर्स के छात्र इस कोर्स के लिए योग्य नहीं हैं। हालांकि, अगर कोई आर्ट्स छात्र BAMS करना चाहता है, तो उसे 12वीं साइंस से दोबारा पढ़ाई करनी होगी।
BAMS कोर्स में कौन-कौन से सब्जेक्ट्स पढ़ाए जाते हैं?
BAMS पाठ्यक्रम में मुख्य रूप से 4.5 वर्ष का प्रशिक्षण + 1 वर्ष का प्रशिक्षुता शामिल है। इसके बाद के विषय भी इसमें शामिल हैं:
प्रथम वर्ष (1st Year)
आयुर्वेद के मूल सिद्धांत (Padartha Vigyan)
संस्कृत और आयुर्वेदिक ग्रंथों का अध्ययन
एनाटॉमी (Sharira Rachana)
फिजियोलॉजी (Sharira Kriya)
द्वितीय वर्ष (2nd Year)
रोग निदान (Roga Nidan)
द्रव्यगुण विज्ञान (Dravyaguna Vigyan - हर्बल मेडिसिन)
रसशास्त्र (Rasa Shastra - आयुर्वेदिक फार्मेसी)
चरक संहिता (Charak Samhita)
तृतीय वर्ष (3rd Year)
काया चिकित्सा (Kayachikitsa - मेडिसिन)
शल्य तंत्र (Shalya Tantra - सर्जरी)
प्रसूति तंत्र (Prasuti Tantra - गायनोकोलॉजी)
चतुर्थ वर्ष (4th Year)
बाल रोग (Kaumarbhritya - पीडियाट्रिक्स)
अगद तंत्र (Agad Tantra - टॉक्सिकोलॉजी)
स्वस्थवृत्त (Preventive Healthcare)
इंटर्नशिप (1 Year)
हॉस्पिटल ट्रेनिंग
क्लिनिकल एक्सपोजर
केस स्टडीज और प्रैक्टिकल नॉलेज
BAMS के बाद करियर विकल्प
1. सरकारी नौकरियां
आयुर्वेदिक मेडिकल ऑफिसर (AMO)
सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर
आयुष विभाग में रिसर्च ऑफिसर
2. प्राइवेट सेक्टर
आयुर्वेदिक हॉस्पिटल्स में कंसल्टेंट
फार्मास्युटिकल कंपनियों में रिसर्चर
हेल्थ वेलनेस सेंटर्स में स्पेशलिस्ट
3. खुद का व्यवसाय
आयुर्वेदिक क्लिनिक खोलना
हेर्बल प्रोडक्ट्स का निर्माण
योग और प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र
4. उच्च शिक्षा
MD/MS in Ayurveda
PhD in Ayurvedic Medicine
PG Diploma in Panchakarma
BAMS डॉक्टर की सैलरी
फ्रेशर्स: ₹25,000 - ₹40,000 प्रति महीना
अनुभवी डॉक्टर्स: ₹50,000 - ₹1,00,000+
सरकारी नौकरी: ₹60,000 - ₹1,20,000 (प्लस अन्य भत्ते)
BAMS कोर्स का परिचय
BAMS (आयुर्वेदिक चिकित्सा और सर्जरी के स्नातक) वास्तव में हर्बल उपचार शिक्षाओं में राष्ट्र के माध्यम से स्नातक की डिग्री का नेतृत्व करने जा रहा है। यह वास्तव में एक पांच साल की मानक इकाई है जैसे 4.पांच साल की पिछली शिक्षा लेकिन इसके बजाय एक साल अनिवार्य प्रैक्टिकम। पंजाबी मेडिसिन सरकार (CCIM) जैसी दोनों समितियों द्वारा इसी पाठ्यक्रम की स्थापना की गई है।
BAMS (बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी) की डिग्री पूरी करने के बाद, एक सफल आयुर्वेदिक डॉक्टर बनने के लिए कुछ विशेष कौशलों की आवश्यकता होती है। ये कौशल न केवल रोगियों का बेहतर इलाज करने में मदद करते हैं, बल्कि करियर में आगे बढ़ने के लिए भी जरूरी हैं।
BAMS के बाद उपलब्धि प्राप्त करने के लिए, तकनीकी संस्थान के साथ-साथ व्यावहारिक कोचिंग होना आवश्यक है। यदि आप इस कौशल को विकसित करते हैं, तो आप पारंपरिक आयुर्वेदिक अभ्यास क्षेत्र में सफल होने की संभावना वाले और व्यापक रूप से माने जाने वाले डॉक्टर बन सकते हैं।
1. नैदानिक कौशल (Clinical Skills)
एक अच्छे आयुर्वेदिक डॉक्टर को रोगों की पहचान (Diagnosis) करने में माहिर होना चाहिए। इसमें नाड़ी परीक्षण (Pulse Diagnosis), जिह्वा (Tongue Examination), और शारीरिक लक्षणों का विश्लेषण शामिल है। साथ ही, मॉडर्न मेडिकल टेस्ट्स (जैसे ब्लड टेस्ट, एक्स-रे) को समझने की क्षमता भी महत्वपूर्ण है।
2. पंचकर्म और थेरेपी में विशेषज्ञता
आयुर्वेद में पंचकर्म (Detoxification Therapy), अभ्यंग (Massage), और स्वेदन (Herbal Steam) जैसी चिकित्सा पद्धतियों का ज्ञान होना आवश्यक है। इन थेरेपीज को सही तरीके से करने के लिए प्रैक्टिकल ट्रेनिंग की जरूरत होती है।
3. हर्बल दवाओं का ज्ञान
आयुर्वेदिक चिकित्सा में जड़ी-बूटियों (Herbs), मिनरल्स और धातुओं (Bhasma) का उपयोग किया जाता है। एक अच्छे BAMS डॉक्टर को दवाओं की तैयारी, खुराक और दुष्प्रभावों की पूरी जानकारी होनी चाहिए।
4. संचार कौशल (Communication Skills)
रोगियों के साथ सहानुभूति (Empathy) और धैर्य (Patience) से बात करना आवश्यक है। कई बार मरीजों को आयुर्वेदिक उपचार के बारे में समझाने के लिए सरल भाषा में व्याख्या करनी पड़ती है।
5. मैनेजमेंट और टीमवर्क
अगर आप अपना क्लिनिक या अस्पताल शुरू करना चाहते हैं, तो प्रबंधन कौशल (Management Skills) जरूरी है। इसमें स्टाफ को संभालना, मरीजों के रिकॉर्ड्स मेन्टेन करना और मार्केटिंग शामिल है।
6. रिसर्च और नवाचार
आयुर्वेद में नई रिसर्च और तकनीकों को सीखते रहना जरूरी है। डिजिटल आयुर्वेद (Telemedicine) और AI-Based Diagnosis जैसे नए ट्रेंड्स को समझने से करियर में बढ़त मिलती है।
7. कंप्यूटर और डिजिटल साक्षरता
आजकल मेडिकल सॉफ्टवेयर, ऑनलाइन कंसल्टेशन और डिजिटल मेडिकल रिकॉर्ड्स का उपयोग बढ़ रहा है। इसलिए, कंप्यूटर और टेक्नोलॉजी की बेसिक जानकारी होना फायदेमंद है।
प्रवेश प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी
पात्रता मानदंड
शैक्षणिक योग्यता: 12वीं कक्षा विज्ञान संकाय (PCB) से न्यूनतम 50% अंकों के साथ उत्तीर्ण
आयु सीमा: न्यूनतम 17 वर्ष (31 दिसंबर तक)
राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा: NEET-UG में योग्यता
निष्कर्ष
BAMS कोर्स उन छात्रों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है जो आयुर्वेद और मॉडर्न मेडिसिन दोनों में करियर बनाना चाहते हैं। यह कोर्स NEET के माध्यम से किया जाता है और इसमें 5.5 साल का समय लगता है। 12वीं आर्ट्स के छात्र इस कोर्स को नहीं कर सकते, लेकिन साइंस स्ट्रीम के छात्रों के लिए यह एक सुनहरा अवसर है।