महिलाएं अक्सर अपने परिवार और करियर की जिम्मेदारियों में इतना व्यस्त हो जाती हैं कि अपनी सेहत को नजरअंदाज कर देती हैं। लेकिन कुछ आदतें और लाइफस्टाइल के कारण उनकी सेहत गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है। यहां 5 प्रमुख कारण बताए गए हैं जो महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं और इनसे बचने के उपाय भी सुझाए गए हैं।
1. अनहेल्दी डाइट (असंतुलित आहार)
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में महिलाएं अक्सर पोषक तत्वों से भरपूर भोजन की जगह जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड और तली-भुनी चीजों पर निर्भर हो जाती हैं। ये अस्वस्थ आहार मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और पाचन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं। कई बार समय की कमी के कारण महिलाएं सही समय पर खाना नहीं खातीं या फिर पोषण की कमी वाला आहार लेती हैं, जिससे शरीर में विटामिन्स और मिनरल्स की कमी हो जाती है।
समाधान:
स्वस्थ और बेहतर बने रहने के लिए खान-पान की योजना महत्वपूर्ण है। इसमें मैंगोस्टीन, घास के योजक, साबुत अनाज, दाल की चौड़ाई और पोषक प्रकार के भोजन भी शामिल करें। खारे पानी, कार्बोहाइड्रेट से बचें और सुपरमार्केट श्रृंखलाओं के निर्मित खाद्य उत्पादों से बचें। बहुत अधिक मात्रा में दवा तरल पीने से बचें (प्रतिदिन 2-3 क्वार्ट जार से कम)
2. तनाव और मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी
महिलाएं अक्सर घर और ऑफिस की जिम्मेदारियों के बीच इतना तनाव ले लेती हैं कि उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होने लगता है। तनाव, चिंता और अवसाद जैसी समस्याएं न केवल मानसिक रूप से परेशान करती हैं, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालती हैं। लंबे समय तक तनाव रहने से हार्मोनल असंतुलन, हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
समाधान:
चिंता को कम करने के लिए, व्यक्ति ताई ची, क्लिनिकल स्ट्रेन कर सकता है, बल्कि अखबार पढ़ सकता है। इसलिए भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को झकझोरने के बजाय, दोस्तों या रिश्तेदारों से चर्चा करें। अधिकतम 7-8 मिनट आराम करें, लेकिन इसके बजाय अतिरिक्त समय लें।
3. शारीरिक गतिविधि की कमी
आजकल की लाइफस्टाइल में महिलाएं ज्यादातर समय बैठकर काम करती हैं, जिससे शारीरिक गतिविधि कम हो जाती है। एक्सरसाइज न करने से मोटापा, जोड़ों में दर्द, डायबिटीज और हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है। कई महिलाएं यह सोचकर एक्सरसाइज नहीं करतीं कि घर के काम कर लेना ही काफी है, लेकिन यह पूरी तरह से फिट रहने के लिए पर्याप्त नहीं होता।
समाधान:
आपको प्रतिदिन 30 मिनट के भीतर टहलना, टहलना या दौड़ना चाहिए तथा कोई शारीरिक गतिविधि करनी चाहिए। ध्यान का आनंद लें, लेकिन अकेले में ध्यान करें, बिना उपस्थित लोगों को देखे। शारीरिक प्रक्रिया भी एक लिफ्ट के बजाय एक कनस्तर का उपयोग करके की जा सकती है।
4. नींद की कमी
काम और घर की जिम्मेदारियों के चलते कई महिलाएं पर्याप्त नींद नहीं ले पातीं। नींद पूरी न होने से शरीर की इम्यूनिटी कमजोर होती है, मूड स्विंग्स होते हैं और वजन बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है। लंबे समय तक नींद की कमी से डिप्रेशन, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
समाधान:
दिन में 7-8 घंटे काम करने के बाद आराम से झपकी लेना बहुत महत्वपूर्ण है। उपकरणों और टेलीविजन से बचें क्योंकि झपकी लेते समय डेस्कटॉप से निकलने वाले फोटॉन सबसे पहले सिएस्टा को प्रभावित करते हैं। सोते समय प्रकाश से बचें, क्योंकि एक निश्चित समय निर्धारित करें।
5. महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को नजरअंदाज करना
कई महिलाएं पीरियड्स, हार्मोनल असंतुलन, यौन स्वास्थ्य या मेनोपॉज जैसे मुद्दों पर खुलकर बात नहीं करतीं और इन्हें नजरअंदाज कर देती हैं। इसकी वजह से गंभीर बीमारियां जैसे पीसीओएस, यूटराइन फाइब्रॉएड या ब्रेस्ट कैंसर तक हो सकती हैं।
समाधान:
नियमित रूप से हेल्थ चेकअप करवाना चाहिए। पीरियड्स या हार्मोनल समस्याओं को नजरअंदाज न करें और डॉक्टर से सलाह लें। ब्रेस्ट कैंसर और सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग जरूर करवाएं।
5 और जरुरी महत्वपूर्ण कारक जो महिलाओं के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं
1. अस्वस्थ आहार और पोषण की कमी
आधुनिक जीवनशैली में महिलाओं के लिए संतुलित आहार लेना एक बड़ी चुनौती बन गया है। अक्सर देखा जाता है कि कामकाजी महिलाएं समय की कमी के कारण फास्ट फूड, पैकेज्ड फूड और तले-भुने स्नैक्स पर निर्भर हो जाती हैं। ये सभी खाद्य पदार्थ ट्रांस फैट, रिफाइंड शुगर और अत्यधिक नमक से भरपूर होते हैं जो लंबे समय में स्वास्थ्य समस्याएं पैदा करते हैं।
इसके अलावा, कई महिलाएं वजन कम करने के चक्कर में अत्यधिक डाइटिंग करती हैं जिससे शरीर में आयरन, कैल्शियम और विटामिन डी जैसे आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। यह कमी एनीमिया, हड्डियों का कमजोर होना और थकान जैसी समस्याओं को जन्म देती है।
सुधार के उपाय:
दिन की शुरुआत पौष्टिक नाश्ते से करें जिसमें प्रोटीन, कॉम्प्लेक्स कार्ब्स और हेल्दी फैट्स शामिल हों
प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के बजाय ताजे फल, सब्जियां और साबुत अनाज को प्राथमिकता दें
हर 2-3 साल में थोड़ा स्वास्थ्यवर्धक विकल्प खाते रहें ताकि श्वसन क्रिया सक्रिय रहे
2. पुराना तनाव और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं
महिलाएं आज के समय में कई भूमिकाएं निभाती हैं - पेशेवर, माँ, पत्नी, बेटी और गृहिणी। इन सभी जिम्मेदारियों का संतुलन बनाए रखने में अक्सर उन्हें भारी तनाव का सामना करना पड़ता है। लगातार तनाव के कारण कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है जिससे वजन बढ़ना, नींद न आना और मूड स्विंग्स जैसी समस्याएं होती हैं।
इसके अलावा, मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर बात करना अभी भी हमारे समाज में एक टैबू माना जाता है। इस वजह से कई महिलाएं डिप्रेशन और एंग्जाइटी जैसी समस्याओं को छिपाती हैं और समय पर इलाज नहीं करवातीं।
सुधार के उपाय:
अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए डायरी लिखने की आदत डालें
परिवार और दोस्तों के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं
यदि आवश्यक हो तो मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से सलाह लें
3. शारीरिक निष्क्रियता और व्यायाम की कमी
डेस्क जॉब्स और घर की जिम्मेदारियों के कारण आजकल अधिकांश महिलाओं का दिन भर बैठे रहना ही होता है। शारीरिक गतिविधियों की कमी से मांसपेशियों में कमजोरी, जोड़ों में अकड़न और मोटापा जैसी समस्याएं होती हैं। साथ ही, निष्क्रिय जीवनशैली से मेटाबॉलिक सिंड्रोम का खतरा भी बढ़ जाता है।
कई महिलाएं यह मानती हैं कि घर के काम कर लेना ही पर्याप्त व्यायाम है, लेकिन यह गलत धारणा है। घरेलू कामों से कैलोरी तो बर्न होती है लेकिन यह पूर्ण शारीरिक व्यायाम का विकल्प नहीं हो सकता।
सुधार के उपाय:
सप्ताह में कम से कम 150 मिनट मध्यम तीव्रता वाली एरोबिक एक्सरसाइज करें
स्ट्रेंथ ट्रेनिंग को अपनी दिनचर्या में शामिल करें
कार्यस्थल पर हर घंटे 5 मिनट का स्ट्रेच ब्रेक लें
पार्किंग में गाड़ी दूर खड़ी करके या लिफ्ट की बजाय सीढ़ियों का प्रयोग करें
4. अपर्याप्त और खराब नींद की गुणवत्ता
नींद की कमी आजकल महिलाओं के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। देर रात तक काम करना, मोबाइल फोन का अत्यधिक उपयोग और तनाव के कारण नींद की गुणवत्ता प्रभावित होती है। नींद पूरी न होने से इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, त्वचा संबंधी समस्याएं होती हैं और वजन बढ़ने का खतरा रहता है।
महिलाओं को पुरुषों की तुलना में अधिक नींद की आवश्यकता होती है क्योंकि उनका मस्तिष्क अधिक जटिल तरीके से काम करता है। लेकिन अक्सर वे परिवार की जरूरतों को प्राथमिकता देते हुए अपनी नींद से समझौता कर लेती हैं।
सुधार के उपाय:
हर रोज़ रात का समय और साथ ही सो जाने का समय निर्धारित करें
सभी बिजली के उपकरणों को 30 मिनट के लिए बंद कर दें क्योंकि सोने का समय हो चुका है
शाम को कैफीन से बचें
सोने से पहले गर्म पानी से नहाएँ और फैक्ट्री की चाय पिएँ
5. महिला स्वास्थ्य मुद्दों की उपेक्षा
समाज में अभी भी महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों जैसे मासिक धर्म, प्रजनन स्वास्थ्य और रजोनिवृत्ति के बारे में खुलकर बात नहीं की जाती। इस वजह से कई महिलाएं सामान्य लक्षणों को भी नजरअंदाज कर देती हैं जो बाद में गंभीर बीमारियों का रूप ले लेते हैं।
उदाहरण के लिए, अनियमित पीरियड्स को अक्सर सामान्य मान लिया जाता है जबकि यह PCOS या थायरॉयड समस्याओं का संकेत हो सकता है। इसी तरह, मेनोपॉज के दौरान होने वाले लक्षणों के बारे में जागरूकता की कमी होती है।
सुधार के उपाय:
वार्षिक स्वास्थ्य जांच में स्त्री रोग संबंधी जांच अवश्य करवाएं
मांसपेशियों में जो भी असामान्य व्यवहार हो उसे अनदेखा न करें
40 वर्ष की आयु के बाद नियमित मैमोग्राफी और पैप स्मीयर टेस्ट करवाएं
महिला स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्यशालाओं में भाग लें
निष्कर्ष
महिलाओं को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि एक स्वस्थ महिला ही पूरे परिवार को स्वस्थ रख सकती है। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, तनाव मुक्त रहना और नियमित हेल्थ चेकअप करवाने से महिलाएं लंबे समय तक स्वस्थ और ऊर्जावान रह सकती हैं। अपनी सेहत को प्राथमिकता देना कोई स्वार्थ नहीं, बल्कि एक जरूरत है।